वैदिक पंडित श्री अजय वैष्णव जी
धार्मिक अनुष्ठानों में रूचि अपने बालयकाल से ही थी, पंडित जी को समस्त प्रकार के अनुष्ठानो का प्रयोगत्मक ज्ञान एवं सम्पूर्ण विधि विधान की जानकारी पंडित जी के गुरु जी से प्राप्त हुयी है, पंडित जी वैदिक अनुष्ठानों में आचार्य की उपाधि से वेद विभूषित है एवं सभी प्रकार के दोष एवं वधाओ के निवारण के कार्यो को करते हुए 11 वर्षो से भी ज्यादा हो गया है।
वर्तमान में पंडित जी नरसिंहानंद वैदिक आवासीय गुरुकुल का संचालन भी करते है जिसमें 100 से अधिक बच्चे वेद एवम् कर्मकांड का भी अध्ययन करते है साथ है पूरी उज्जैन नगरी में कालसर्प पूजापूर्ण वैदिक पद्धति द्वारा संपन्न कराते है, इसके अतिरिक्त महामृत्युंजय जाप, दुर्गा सप्तसती पाठ भी आवश्यकता के अनुसार करते है, पंडित जी कुम्भ विवाह, अर्क विवाह, जन्म कुंडली अध्ययन एवं पत्रिका मिलान में भी सिद्धस्त है, इन समस्त कार्यो के साथ साथ पंडित जी वास्तु पूजन, वास्तु दोष निवारण एवं व्यापार व्यवसाय बाधा निवारण का पूजन भी सम्पूर्ण विधि विधान से करते है।
क्या उज्जैन में कालसर्प दोष का निवारण संभव है|
जैसा की हमने ऊपर बताया है की उज्जैन को समस्त तीर्थो में तिल भर महत्त्व अधिक मिला है और यह स्वयं महाकाल की नगरी है, इसलिए यहाँ पर समस्त प्रकार के सर्प दोष एवं काल सर्प दोष का निवारण संभव है, अब एक प्रश्न ये आप पूछ सकते है की जब भगवान की कृपा से इस दोष का निवारण संभव है तो उस परम दयालु भगवान ने अपने ही द्वारा निर्मित मनुस्य की कुंडली में काल सर्प योग बनने ही क्यों दिया? इस प्रश्न का बहुत सहज उत्तर ये है की भगवान किसी की कुंडली में कोई योग या रोग नहीं डालते है, ये तो मनुस्य के कर्म है जिसके अनुसार उसकी कुंडली में रोग, योग, भोग, वियोग, संयोग या दोष बन जाते है, सबका आधार कर्म ही है, किन्तु जब मनुस्य अपने कर्मो के द्वारा रचित विधान से व्यथित होकर परम शक्ति की शरण ग्रहण करता है और विनती करता है की मेरी रक्षा करो तो परमेश्वर उसकी प्रार्थना पर विशेष ध्यान देकर उसके पापो अथवा कर्मो के द्वारा रचित फलों के दुष्प्रभाव को कम कर देते है, अर्थात सच्चे मन से की गयी पूजा एवं विनती से भगवान शिव 'मेटत कठिन कुअंक भाल के'।
कालसर्प एवं मंगल दोष पूजा में उज्जैन का महत्व !
भारतीय शास्त्रों में उज्जैन की महिमा सदैव से विशिष्ट रही है, ऐसा माना जाता है की जब तीर्थो के अनुसार पुण्य फलो का विभाजन हो रहा था उज्जैन को टिल भर ज्यादा पुण्य ज्यादा दिया गया क्युकी यह महाकाल की नगरी है, ऐसी मान्यता है की यहाँ पर भगवान शिव स्वयं महाकाल के रूप में विराजमान होकर अपने भक्तो का हर प्रकार कष्ट हरते है और उनका मंगल करते है, काल सर्प दोष या योग जिस किसी भी कुंडली में हो वह भयहीन होकर महाकाल की नगरी में अगर महाकालेश्वर के किसी भी विद्वान ब्राह्मण या पंडित से सम्पर्क करके काल सर्प योग निवारण पूजा करवा सकता है, साथ ही यहाँ पर मंगल नाथ जी का मंदिर भी है जिसमे उन लोगो के लिए मंगल भात पूजा या मंगल दोष निवारण पूजा होती है जिनके विवाह में समस्या आती है या वैवाहिक जीवन में समस्या आती है, स्पस्ट शब्दों में कहे तो समस्त प्रकार के कष्टों से मुक्ति और जीवन में मंगल के लिए उज्जनिन सर्वश्रेष्ठ तीर्थस्थल है।
जय श्री महाकालेश्वर